चाहत
बसंत के मौसम में ।
झड़ते पतझड़ से ।
झरने वो निर्मल से ।
झरते जो निर्झर से ।
भाव जगे उर से ।
शून्य रहे नभ से ।
बहने की चाहत में ,
“निश्चल” सागर से ।
…. विवेक दुबे”निश्चल@….
बसंत के मौसम में ।
झड़ते पतझड़ से ।
झरने वो निर्मल से ।
झरते जो निर्झर से ।
भाव जगे उर से ।
शून्य रहे नभ से ।
बहने की चाहत में ,
“निश्चल” सागर से ।
…. विवेक दुबे”निश्चल@….