चाहत
न मै तुम्है खोना चाहता हू!
न तुमसे दूर होना चाहता हू!!
बस की जो तुमसे बेबफाई,
शर्मिन्दगी से रोना चाहता हू!!
आज इकरार तुमसे यह करता हू!
दिल औ जान से तुमपर मरता हू!!
फरिश्ता तो मै भी कतई नही हू!
पर इकबार इन्सान होना चाहता हू!!
कभी कोई जब अपनो से रुठता है!
इससे किसी अपने का दिल टूटता है!!
दिल मे तुम्हारे मै हमेशा ही रहता हू,
अब फिर भी तुम्हारा होना चाहता हू!!