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20 Nov 2020 · 1 min read

चाहत

वो गुल तो चाहते हैं मगर खार नहीं चाहते
मंज़िल तो चाहते हैं राह दुश्वार नहीं चाहते

ज़रा सा देर से आना भी गवारा नहीं करते
मुलाकात चाहते हैं मगर इंतज़ार नहीं चाहते

हमें सबके दिलों में इत्तेहाद कायम करना है
अपने दर्मियां इक्तिलाफ की दीवार नहीं चाहते

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