** चाहत…..
संक्षिप्त है परिचय मेरा
विस्तार कहां बतलाऊ
बेसुरा है गीत का दरिया
धारा कैसे मैं बहाऊं।।
आसमान मेरा बहुत छोटा
छत कैसे मै बनाऊ,
प्यास है मुझे हलाहल की
अमृत की बूंद कहां पाऊं।।
संक्षिप्त है परिचय मेरा
विस्तार कहां बतलाऊ
बेसुरा है गीत का दरिया
धारा कैसे मैं बहाऊं।।
आसमान मेरा बहुत छोटा
छत कैसे मै बनाऊ,
प्यास है मुझे हलाहल की
अमृत की बूंद कहां पाऊं।।