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18 May 2023 · 1 min read

“चाहत का घर”

“चाहत का घर”
इंसानी आत्मा में होता है
चाहत का बसेरा,
नर हो नारी
निकाल नहीं सकते कभी
चाहत को अपनी आत्मा से..।

– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति

Language: Hindi
5 Likes · 3 Comments · 174 Views
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