चाहता हूँ साथ में माँ भी रहे आराम से
चाहता हूँ साथ में माँ भी रहे आराम से ।
पैर में मालिश करूँ जब भी आऊ काम से ।।
गाँव की गलियाँ बताती काम करती रातदिन ।
स्वप्न में भी नाम रटती आशीष राजू लाला विपिन ।।
गाय की सेवा वो करती पापा जी के साथ में ।
पूर्णमासी ब्रत कथा किताब रखती हाथ में ।।
चारों बेटों का भला हो कहती है भगवान से ।
चाहता हूँ साथ में माँ भी रहे आराम से ।।
याद आते दिन पुराने मैं भी रोता हूँ यहाँ ।
माँ का दिल है जान जाती वो भी रोती है वहा ।।
वायु सेना में है राजू हर समय सूली चढ़ा ।
झेलकर सारी मुसीबत पैरो पर जुगनू खड़ा ।।
छोटे भाई से है कहती तुम ना लड़ना राम से ।
चाहता हूँ साथ में माँ भी रहे आराम से ।।
आज तक पैसे नहीं ली रहती पुराने हाल में ।
देख आता हूँ गरीबी छ महीना साल में ।।
घर बनाके साथ में तेरे पास ही रहना मुझे ।
माँ सुनाना लोरियाँ दहिजार भी कहना मुझे ।।
पुण्य ज्यादा है तेरे चरणों में चारोधाम से ।
चाहता हूँ साथ में माँ भी रहे आराम से ।।