चार प्रहर और आठों याम रोज जपुं मैं तेरा नाम
चार प्रहर और आठों याम, रोज जपुं मैं तेरा नाम
तुमने मुझको मनुज बनाया, सुलभ बनाया मेरा काम
सदा मैं अदा करूं शुकराना, जीवन में करते सतकाम
नहीं किसी से बैर बढ़ाऊं, दिल को कष्ट नहीं पहुंचाऊं
प्रेम प्रीत से रहूं सदा मैं, काम किसी के आऊं
जल जंगल जमीन और पर्वत, कुदरत ने अनमोल अता कर
सारा जीवन चक्र चलाया, मानव जीवन सुगम बनाया
कुदरत की अनमोल धरोहर, सारा जीवन सदा बचाऊं
दूर करूं सारा प्रदूषण, धरती माता को सदा बचाऊं
सबके हित की करूं प्रार्थना, जीवन सफल बनाऊं
प्यार मोहब्बत और खुशी का, दुनिया को पैगाम सुनाऊं