चाय
गीत
जगत में चाय बड़ी बलवान
सुबह चाय और शाम चाय
तो चाय का करूं बखान।
जगत में चाय बड़ी बलवान।।
राम की शक्ति ,न कृष्ण की शक्ति ।
मन में श्रद्धा ,न जाप में भक्ति।
चाय पीत हैं ,तभी होत हैं ,
कहीं अखंड रामायण ।।
जगत में चाय——-
दुआ असर नहीं ,दवा असर नहीं,
चाय पीने में जरा सबर नहीं।
पीके इसे सब रोग मिटेंऔर
मुर्दे में आए जान ।।
जगत में चाय ——–
डीजल पेट्रोल से वाहन चलत हैं,
बिजली से सब साधन चलत हैं।
पैर से पशु, पंख से पक्षी और
चाय से सब इंसान ।।
जगत में चाय ——–
दिन उगे से दिन डूबे तक ,
जन्म होत से ही मृत्यु तक ।
चाय का खर्च जुटालो भैया और
बचे तो कर फिर दान ।।
जगत में चाय —––-
बिना चाय के उपास ना होवें,
परीक्षा में कोई पास ना होवें।
सबके रिश्ते चाय ही जोड़े ,
भक्त हो या भगवान ।।
जगत में चाय——–
जांच करने जब अधिकारी आवें,
फाइल दिखाएं ,तब चाय पिलादें।
जांच करें ,सब माफ करें और
नौकरी हो आसान।।
जगत में चाय——–
✍श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव साईंखेड़ा
जिला नरसिंहपुर (mp)