चाय और गपशप
वे दोनों हाथ में लेकर चाय के कप ,
मस्त मूड में करने लगे फिर गपशप ,
डुबो डुबो बिस्किट खा रहे चप-चप ,
एक बोला होंठों पर ला चाय को चख ,
चाय भी क्या चीज है खोल दी नस-नस ,
दूजा चुप कहां रहे,बोले बिस्किट मुंह रख ,
काश !!होती बारिश करते यार छप-छप ,
गुनगुनाते भीगो लेते दोस्त शिख सब नख ,
यूं तो खैर करता है सबकी मेरा मालिक रब
जिंदगी का मजा ले लेते मित्र आज और अब ,
कल हो ना हो तज जग चला जाएं कौन कब?
खोजे कभी बचपन कभी करें बादल पर शक,
गपशप करते न जानें कब हो गई चाय खत्म।।
– सीमा गुप्ता