//… चापलूसी…गुलामी…बेईमानी…//
//…चापलूसी…गुलामी…बेईमानी…//
एक ,
बढ़िया
कला… ,
सीधा ,
सरल ,
भला…!
चापलूसी ,
गुलामी ,
बेईमानी… ,
चलाती
कईयों
जिंदगानी…!
ये…
चीज ,
बड़ी ,
सयानी… ,
फांसती ,
लोगों को
अपने जाल में ,
ज्ञानी हो
या अज्ञानी…!
कुछ तो
अहमियत है
इस जमाने में
इसकी भी ,
मेरे यार ,
सुन लो
मेरी जुबानी
मेरे “मन ” की ,
थोड़ी होती
जरूर बदनामी… ,
लोग कहें
इसे नकारा ,
बदसूरत , बेमानी…!
पर चलाती ये
कईयों जिंदगानी
कईयों जिंदगानी…!
चापलूसी ,
गुलामी ,
बेईमानी …!
चिन्ता नेताम ” मन ”
डोंगरगांव(छत्तीसगढ़)