चाटिये
क़्लब को आरज़ू-ए-ख़ुद-नुमाई है चाटिए
चाटना हि आपका सुख़न-सराई है चाटिए
डार्विन हेरोडोटस सब बेकार साबित हुए
पंडित ख़तीब मजहब देशी पढ़ाई है चाटिए
बुलडोजर सामने पाएँगे गर आप जुबाॅं खोले
भक्तों आपकी अब इसी में भलाई है चाटिए
देर – सवेर आप भी रास्त देखने लगोगे खेैर
गर्द तुराब का ज़ाइक़ा चखना पैदाई है चाटिए
रास्त , ईमान , हकीकत से क्या लेना – देना
बातिल सुर्खी हि तो आपकी कमाई है चाटिए
मिलता नहीं सबको इक वक़्त की भी रोटी
आपके किस्मत में मलाई हि मलाई है चाटिए
हम आज भी गुमानाम हि है रास्त लिख कुनु
बन गए आप अंतर्राष्ट्रीय कवि बधाई है चाटिए