”चाक पर चढ़ी बेटी”
उस स्त्रीलिंग प्रतिमा,
यौवन-उफनाई प्रतिमा को–
एक पुरुष ने खरीदा
और सीमेंटेड रोड पर
पटक-पटक / चू्र कर डाला ।
प्रतिमा के चूड़न को–
सिला में पीस डाला,
और अपनी लार से
मिटटी का लौन्दा बनाया,
उसे चाक पर चढ़ा दिया,
कहा जाता है—
तबसे बेटी / चाक पर चढ़ी है ।