चांद और चांद की पत्नी
थाम के चाँद का हाथ बोली प्रिया
घर चलो ये दिखावा बहुत हो गया
स्त्रियाँ ये धरा की बताओ मुझे,
पास होते पिया देखती क्यों तुम्हें ?
देखना है तो देखें न अपना पिया,
देख तुमको मेरा क्यों जलाती हिया।
अब चलो तारिकायें जलाने लगीं
झाँक खिड़की मुझे सब चिढ़ाने लगीं,
मैंने उससे कहा था की छाया रहे,
जाने बादल निगोड़ा कहाँ खो गया?
घर चलो तो पिन्हाऊँ बड़े प्यार से,
एक कुर्ता मंगाया है बाज़ार से।
देखना सबसे सुंदर लगोगे तुम्हीं।
द्वेष से वो रती मर न जाए कहीं।
आज के दिन कम स कम सुधर जाओ तुम
शुभ मुहूरत समय पर तो घर आओ तुम,
रात दिन चूनरी से रहे थे बँधे,
ब्याह वाला बरस जाने क्या हो गया!
गौरी शंकर गजानन को आसान बिठा,
मैंने बोला कि लाऊँ उन्हें भी बुला।
अब चलो देवता पूजने हैं हमें।
सात जन्मों के वर माँगने हैं हमें।
आज आँखो में संयोग की आस है,
आस और आस्था पर हि विश्वास है।
आओ मिलकर के आभार ज्ञापित करें,
प्रेम का देवता सब कलुष धो गया।
© शिवा अवस्थी