Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jul 2021 · 1 min read

चांदनी न मानती!

चाँद कितना खूबरसूरत ,
चांदनी न जानती।
होती न रात काली,
चाँदनी न मानती।

चाँद का मूल्य क्या है,
वो न पहचानती।
छिपता न बादलों में,
चांदनी न मानती।

चाँद कितना शीतल है,
ठंडक न जानती।
होता न सूर्यताप जो,
चाँदनी न मानती।

चाँद जो न घटता-बढ़ता
पूनम-अमावस न करता
‘दीप’ के प्रकाश सा जलता
सूरज उसी को मानती

-जारी
©कुल’दीप’ मिश्रा

Language: Hindi
3 Likes · 259 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सबके साथ हमें चलना है
सबके साथ हमें चलना है
DrLakshman Jha Parimal
थे कितने ख़ास मेरे,
थे कितने ख़ास मेरे,
Ashwini Jha
कभी जलाए गए और कभी खुद हीं जले
कभी जलाए गए और कभी खुद हीं जले
Shweta Soni
Mohabbat
Mohabbat
AMBAR KUMAR
टाईम पास .....लघुकथा
टाईम पास .....लघुकथा
sushil sarna
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
बदलते दौर में......
बदलते दौर में......
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
मत बुझा मुहब्बत के दिए जलने दे
मत बुझा मुहब्बत के दिए जलने दे
shabina. Naaz
अस्मिता
अस्मिता
Shyam Sundar Subramanian
........,?
........,?
शेखर सिंह
■ बच कर रहिएगा
■ बच कर रहिएगा
*Author प्रणय प्रभात*
अपने ज्ञान को दबा कर पैसा कमाना नौकरी कहलाता है!
अपने ज्ञान को दबा कर पैसा कमाना नौकरी कहलाता है!
Suraj kushwaha
यह मेरी इच्छा है
यह मेरी इच्छा है
gurudeenverma198
(17) यह शब्दों का अनन्त, असीम महासागर !
(17) यह शब्दों का अनन्त, असीम महासागर !
Kishore Nigam
2990.*पूर्णिका*
2990.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वट सावित्री व्रत
वट सावित्री व्रत
Shashi kala vyas
*दोहा*
*दोहा*
Ravi Prakash
प्रेम में डूबे रहो
प्रेम में डूबे रहो
Sangeeta Beniwal
New light emerges from the depths of experiences, - Desert Fellow Rakesh Yadav
New light emerges from the depths of experiences, - Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
इंसान की भूख कामनाएं बढ़ाती है।
इंसान की भूख कामनाएं बढ़ाती है।
Rj Anand Prajapati
"झूठ"
Dr. Kishan tandon kranti
जब तक जरूरत अधूरी रहती है....,
जब तक जरूरत अधूरी रहती है....,
कवि दीपक बवेजा
गीत, मेरे गांव के पनघट पर
गीत, मेरे गांव के पनघट पर
Mohan Pandey
आकाश दीप - (6 of 25 )
आकाश दीप - (6 of 25 )
Kshma Urmila
आशिकी
आशिकी
साहिल
चाहो न चाहो ये ज़िद है हमारी,
चाहो न चाहो ये ज़िद है हमारी,
Kanchan Alok Malu
समाज के बदलते स्वरूप में आप निवेशक, उत्पादक, वितरक, विक्रेता
समाज के बदलते स्वरूप में आप निवेशक, उत्पादक, वितरक, विक्रेता
Sanjay ' शून्य'
जिक्र क्या जुबा पर नाम नही
जिक्र क्या जुबा पर नाम नही
पूर्वार्थ
वर्तमान सरकारों ने पुरातन ,
वर्तमान सरकारों ने पुरातन ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
मन चंगा तो कठौती में गंगा / MUSAFIR BAITHA
मन चंगा तो कठौती में गंगा / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
Loading...