Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Oct 2024 · 1 min read

” चाँद “

” चाँद ”

चाँद को ढूँढ़ते हुए लम्हें गुजार दिए,
पर उस चाँद को देख ना पाया
जो कब से खड़ा था तेरे ही सामने।

2 Likes · 2 Comments · 40 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

.
.
*प्रणय*
मृदा मात्र गुबार नहीं हूँ
मृदा मात्र गुबार नहीं हूँ
AJAY AMITABH SUMAN
दिल को दिल से खुशी होती है
दिल को दिल से खुशी होती है
shabina. Naaz
*अशोक कुमार अग्रवाल : स्वच्छता अभियान जिनका मिशन बन गया*
*अशोक कुमार अग्रवाल : स्वच्छता अभियान जिनका मिशन बन गया*
Ravi Prakash
कुछ कर लेने दो उनको भी अपने मन की,
कुछ कर लेने दो उनको भी अपने मन की,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बोलतीआँखें 👁️ 👁️
बोलतीआँखें 👁️ 👁️
पंकज कुमार कर्ण
प्रेम कई रास्तों से आ सकता था ,
प्रेम कई रास्तों से आ सकता था ,
पूर्वार्थ
जोख़िम दग़ा का अज़ीज़ों से ज़्यादा
जोख़िम दग़ा का अज़ीज़ों से ज़्यादा
Shreedhar
दिल तो करता है
दिल तो करता है
Shutisha Rajput
"विश्वास की शक्ति" (The Power of Belief):
Dhananjay Kumar
प्रेम पत्र
प्रेम पत्र
Surinder blackpen
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
फिर क्यूँ मुझे?
फिर क्यूँ मुझे?
Pratibha Pandey
प्रेम अब खंडित रहेगा।
प्रेम अब खंडित रहेगा।
Shubham Anand Manmeet
तुम्हारे दीदार की तमन्ना
तुम्हारे दीदार की तमन्ना
Anis Shah
नन्हा बालक
नन्हा बालक
Ruchi Sharma
जाने कब पहुंचे तरक्की अब हमारे गांव में
जाने कब पहुंचे तरक्की अब हमारे गांव में
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
तेरे कहने पे ही तुझसे किनारा कर लिया मैंने
तेरे कहने पे ही तुझसे किनारा कर लिया मैंने
Dr Archana Gupta
पुरुष नहीं रोए शमशान में भी
पुरुष नहीं रोए शमशान में भी
Rahul Singh
इस ज़मीं से  आसमान देख रहा हूँ ,
इस ज़मीं से आसमान देख रहा हूँ ,
Pradeep Rajput Charaag
14) “जीवन में योग”
14) “जीवन में योग”
Sapna Arora
3381⚘ *पूर्णिका* ⚘
3381⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
*बेसहारा बचपन*
*बेसहारा बचपन*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
एक दिन मजदूरी को, देते हो खैरात।
एक दिन मजदूरी को, देते हो खैरात।
Manoj Mahato
" हल "
Dr. Kishan tandon kranti
आज का ज़माना ऐसा है...
आज का ज़माना ऐसा है...
Ajit Kumar "Karn"
- तेरे नाम यह जिंदगानी कर जाऊ -
- तेरे नाम यह जिंदगानी कर जाऊ -
bharat gehlot
रमेशराज के शृंगाररस के दोहे
रमेशराज के शृंगाररस के दोहे
कवि रमेशराज
अधिकार और पशुवत विचार
अधिकार और पशुवत विचार
ओंकार मिश्र
कांवड़िए
कांवड़िए
surenderpal vaidya
Loading...