चाँद सितारे झूठे हैं
*** चाँद सितारें झूठें हैं ***
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सभी चाँद सितारें झूठे हैं,
खाली दिल प्रेम के भूखे है।
गैरों से उम्मीद क्या करनी,
खुद अपने हम से रूठें हैं।
पंछी खो कहीं छाया नहीं,
नजर भी कभी के सूखें हैं।
ऊपर से सूरत चिकनी सी,
रंग – ढंग लगते फीके हैं।
प्यार की भाषा आती नहीं,
मिजाज सभी के रूखें हैं।
मनसीरत भी सात्विक नहीं,
बर्तन भी तो सारे जूठें हैं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)