चल सोझाँ आ बोल
घेरल इजोत के खोल
चल सोझाँ आ बोल
ई अन्हरिया पसरल सगर
कहरिया भटकै से कहर
दीया जला आस ककर
डूमि रहल केओ अगर
चल सोझाँ आ बोल
मुस्की देता बैरी नगर
पुष्प बिछा छोड़ि जहर
जाहिमे बसै गंद लहर
फेक लिअऽ ओ एम्हर
चल सोझाँ आ बोल
मिठका दिअ वानी सार
ओ सदिखन रहै अमर
झुकि झुमै गाम शहर
चल सोझाँ आ बोल
पवन पछुआ देला पहर
साहे माथ मुकुट प्रखर
नै फास बीच भँवर
चल सोझाँ आ बोल
मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य