चल विजय पथ
चल विजय पथ
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कुशलतम प्रज्ञान है गर,
सार्थक अभियान है गर,
फिर कहीं रुकना नहीं तू,
विघ्न में झुकना नहीं तू।
अनवरत चलता रहे रथ,
सफल होंगे बस यही कथ।
चल विजय पथ ,
चल विजय पथ,
चल विजय पथ।
तनिक भी न रोष कर तू,
मन हृदय में जोश भर तू,
हार भी उपहार है इक,
जीत के उदगार है इक।
पय को थोड़ा और ले मथ,
सफलता का शुरू हो अथ।
चल विजय पथ ,
चल विजय पथ,
चल विजय पथ।
यदि कोई व्यवधान आये,
विफलता का डर सताये,
माधव को मन में बसाना,
सतत कोशिश करते जाना।
पैदल चल यदि है बिना रथ,
निर्भय का औजार रख हथ।
चल विजय पथ ,
चल विजय पथ,
चल विजय पथ।
एक दिन उस पार होगा,
मुट्ठी में संसार होगा,
फिर दिवस वह आएगा,
ध्वज चाँद पर फहरेगा।
स्वेद से हो जा तू लथपथ,
डाल दे बाधा में इक नथ।
चल विजय पथ ,
चल विजय पथ,
चल विजय पथ।
-सतीश सृजन