Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Oct 2017 · 1 min read

चल रे हंसा

चल रे हंसा उड़ि चले
नहि रहना या देस
इट कागामोती चुगे
हिरनउड़ावे रेत।
हिरण उड़ावे रेत
बढ़ रहे अत्याचारी
उजियारे पर मिट्टी डारे
छाई मावस अंधियारी
छाईमावस अंधियारी
कोउ राह न सूझे
का करणो का न करनो
अब यह जीव न बुझे।
चल रे हंसा,,,,,,,,।

Language: Hindi
262 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
असतो मा सद्गमय
असतो मा सद्गमय
Kanchan Khanna
वो जहां
वो जहां
हिमांशु Kulshrestha
2741. *पूर्णिका*
2741. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैं तो हमेशा बस मुस्कुरा के चलता हूॅ॑
मैं तो हमेशा बस मुस्कुरा के चलता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
हर जगह मुहब्बत
हर जगह मुहब्बत
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
रमेशराज के प्रेमपरक दोहे
रमेशराज के प्रेमपरक दोहे
कवि रमेशराज
घर बन रहा है
घर बन रहा है
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
आप कुल्हाड़ी को भी देखो, हत्थे को बस मत देखो।
आप कुल्हाड़ी को भी देखो, हत्थे को बस मत देखो।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
हमारी जान तिरंगा, हमारी शान तिरंगा
हमारी जान तिरंगा, हमारी शान तिरंगा
gurudeenverma198
यहां से वहां फिज़ाओं मे वही अक्स फैले हुए है,
यहां से वहां फिज़ाओं मे वही अक्स फैले हुए है,
manjula chauhan
निहारने आसमां को चले थे, पर पत्थरों से हम जा टकराये।
निहारने आसमां को चले थे, पर पत्थरों से हम जा टकराये।
Manisha Manjari
अधूरी हसरत
अधूरी हसरत
umesh mehra
गैरों सी लगती है दुनिया
गैरों सी लगती है दुनिया
देवराज यादव
"किताबों में उतारो"
Dr. Kishan tandon kranti
अज्ञानता निर्धनता का मूल
अज्ञानता निर्धनता का मूल
लक्ष्मी सिंह
लोकतंत्र में भी बहुजनों की अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा / डा. मुसाफ़िर बैठा
लोकतंत्र में भी बहुजनों की अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा / डा. मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
युग बीत गया
युग बीत गया
Dr.Pratibha Prakash
अपनी कद्र
अपनी कद्र
Paras Nath Jha
सुखों से दूर ही रहते, दुखों के मीत हैं आँसू।
सुखों से दूर ही रहते, दुखों के मीत हैं आँसू।
डॉ.सीमा अग्रवाल
वृक्षारोपण का अर्थ केवल पौधे को रोपित करना ही नहीं बल्कि उसक
वृक्षारोपण का अर्थ केवल पौधे को रोपित करना ही नहीं बल्कि उसक
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
गुमराह जिंदगी में अब चाह है किसे
गुमराह जिंदगी में अब चाह है किसे
सिद्धार्थ गोरखपुरी
सोच समझ कर
सोच समझ कर
पूर्वार्थ
■ आज का शेर
■ आज का शेर
*Author प्रणय प्रभात*
घर के मसले | Ghar Ke Masle | मुक्तक
घर के मसले | Ghar Ke Masle | मुक्तक
Damodar Virmal | दामोदर विरमाल
युद्ध
युद्ध
Dr.Priya Soni Khare
बात क्या है कुछ बताओ।
बात क्या है कुछ बताओ।
सत्य कुमार प्रेमी
ऐसी प्रीत कहीं ना पाई
ऐसी प्रीत कहीं ना पाई
Harminder Kaur
चाँदनी .....
चाँदनी .....
sushil sarna
यह कब जान पाता है एक फूल,
यह कब जान पाता है एक फूल,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
पुत्र एवं जननी
पुत्र एवं जननी
रिपुदमन झा "पिनाकी"
Loading...