चल उसमें बनके चिराग जलते है।
किसी के दिल का अरमां बनते है।
सब रातें उसकी चांद रात करते है।।1।।
मुहब्बत में गुलफाम जैसे रहते है।
हर शाम महफिल ए शाम करते है।।2।।
कोई तो आने वाला है आज घर।
देखो कौए आके मेहराब बैठते है।।3।।
यूं तन्हाई के अंधेरे को मिटाते है।
चल उसमें बनके चिराग जलते है।।4।।
खामोशी से ना मसला हल होगा।
बैठकर हम तुम हर बात रखते हैं।।5।।
कुछ यूं करते है दिल मिल जाए।
हम तुम नफ्स को साफ करते हैं।।6।।
आशिकी में फूल से महकते हैं।
बनकर दिल में गुलाब खिलते है।।7।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ