*चलो टहलने चलें पार्क में, घर से सब नर-नारी【गीत】*
चलो टहलने चलें पार्क में, घर से सब नर-नारी【गीत】
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चलो टहलने चलें पार्क में ,घर से सब नर-नारी
(1)
मिले राह में जो भी उससे, राधे-राधे कहना
देखो आँको स्वच्छ वायु का, मस्ती भरकर बहना
दिए सलामत पैर हमें, प्रभु जी ! सौ-सौ आभारी
(2)
हरी घास पर चलने से, मन को खुराक मिल जाती
करो योग तो साँस संयमित, मर्यादा में आती
कुछ व्यायाम करो मिलजुल कर, आपस में सब जारी
(3)
छड़ी हाथ में लेकर जाओ ,यह रक्षक कहलाती
टोली कुत्तों वाली इसको, देख पास कब आती
तेज कदम से चलो मिटेगी, तन से हर बीमारी
(4)
जिनको आदत लग जाती है, रोज टहलने जाते
स्वर्ग-सरीखे पार्क मनोहर, सपनों में भी आते
सुबह नींद जब खुली, टहलने की करते तैयारी
चलो टहलने चलें पार्क में ,घर से सब नर-नारी
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451