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7 Feb 2024 · 1 min read

” चले आना “

गीत

सांझ ढलती है चले आना !!

डूबा डूबा है रवि ,
झुकी सी पलकें कहीं !
हवाएं थम गई हैं ,
नहीं थोड़ी सी नमी !
गगन भी झुक सा गया ,
छा के बादल से चले जाना !!

अक्स उभरे हैं कई ,
यादें न पीछे रहीं !
थकती पतवार लगे ,
नाव भी ठहरी यहीं !
आँखें बैचेन थकी ,
आ के मौसम से ढले जाना !!

मौन पल पल है यहाँ ,
कोइ कलरव है कहाँ !
ठहरा सा पहर लगे ,
लहरें भी थमी यहाँ !
बेकरारी की घड़ी ,
कभी टलती ना टले , आना !!

देर कर दी है बड़ी ,
खुशबुएँ बिखरी , उड़ी !
आस ना टूटे कहीं ,
लगा दो ऐसी झड़ी !
साक्षी हैं धरा गगन ,
कमी खलती है चले आना !!

स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 276 Views
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