*चली आई मधुर रस-धार, प्रिय सावन में मतवाली (गीतिका)*
चली आई मधुर रस-धार, प्रिय सावन में मतवाली (गीतिका)
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(1)
चली आई मधुर रस-धार, प्रिय सावन में मतवाली
घिरी नभ मे घटा चहुॅं ओर, देखो आज है काली
(2)
पड़ा झूला किसी के घर, बड़े-से एक ऑंगन में
कहीं मदमस्त हैं झूलों से, पेड़ों की बड़ी डाली
(3)
बरसती जा रही बूॅंदे हैं, प्यासी शुष्क धरती पर
न कोना भीगने से आज, बच पाया तनिक खाली
(4)
पवन भीगा हुआ छूता है, जब भी देह को बढ़कर
हृदय ने चिर-प्रतीक्षा की, घड़ी लगता है ज्यों पा-ली
(5)
करो स्वागत समूचे मन से, बरखा राजरानी का
बजी है इस तरह हर दौर, में दो हाथ से ताली
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा , रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451