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12 Nov 2023 · 1 min read

“चलता पुर्जा आदमी”

सौ के बराबर एक आदमी
वह चलता पुर्जा आदमी।

न डॉक्टरी की डिग्री
न वकालत की कोई पढ़ाई
परवाह किसी की नहीं
लड़ते न्याय-सत्य की लड़ाई
गज़ब की दिखती सादगी
वह चलता पुर्जा आदमी।

अपने खर्चे से खिला देते
गाड़ी-घोड़े तलक बिठा देते
दुःख में भी औ’ सुख में भी
सबका साथ निभा देते
पता नहीं फरिश्ता है कि आदमी
वह चलता पुर्जा आदमी।

प्रकाशित काव्य-कृति :
‘तस्वीर बदल रही है’ से…

डॉ.किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति

Language: Hindi
8 Likes · 5 Comments · 267 Views
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