Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Feb 2024 · 1 min read

* चतु-रंग झंडे में है *

चतु-रंग झंडे में है तीन जिसमें अहम
चौथा रंग रहा गौण इनको बड़ा अहम
विकास-चक्र चलता वह नील- रंग है
रंगों-रंग पिसता-घिसता नील है अहम।।

वह अशोक-चक्र सबका का करता घमण्ड चूर
जीत लिए हों चाहे जिसने रण जीवन -भर-पूर
रग-रग में जिसके शौर्य बसा ऐसा अगर-अनूप
आज गौण क्यों है वह शौर्यचक्र-रंग जीवन-पूर।।

चक्र-बिना गति-प्रगति असम्भव
चक्र-बिना तक्र बनना असम्भव
फिर कैसे निकलेगा घृत- अमृत
है चक्र-बिना मक्खन असम्भव।।

चतुर्थ छोड़ तीनों से नहीं सम्पूर्ण काज
ना पहले था, ना अब है,ना होगा काज
तीन पहियों की गाड़ी चलती जैसे-तैसे
चार पहियों आगे देखो कैसे आती लाज।।

रंग सभी मिलेंगे तभी तो रंग जमेगा
संग सभी रहेंगे तभी राज है जमेगा
एक- दूजे -बिन काज कैसे सरेगा रे
दूध दही बनेगा संग जामण जमेगा।।

शरीर के सभी अंग-सम है समाज
एक चोट लगे पीड़ शरीर- समाज
ना सरे काज एक-दूजे-बिन हमार
सभी चर्म के भांडे मानव- समाज।।

हिन्दू,मुस्लिम,सिख, ईसाई
कहते नहीं अपने को भाई
कहो कैसे आई ये नोबत
कहाँ गई वो मुहब्बत भाई।।

ला दो वो दिन जिसमें सत् का राज हो
सब-सिर फिर वो मुहब्बत का ताज हो
चतुर्वर्ण,चतुरधर्म,चतु-रंग हो सब एक
राज हो राज हो केवल सत् का राज हो।।

💐मधुप “बैरागी”

Language: Hindi
1 Like · 86 Views
Books from भूरचन्द जयपाल
View all

You may also like these posts

चम-चम चमके चाँदनी
चम-चम चमके चाँदनी
Vedha Singh
जिंदगी का हिसाब
जिंदगी का हिसाब
ओनिका सेतिया 'अनु '
#राजनैतिक_आस्था_ने_आज_रघुवर_को_छला_है।
#राजनैतिक_आस्था_ने_आज_रघुवर_को_छला_है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मैं तुलसी तेरे आँगन की
मैं तुलसी तेरे आँगन की
Shashi kala vyas
आजादी की कहानी
आजादी की कहानी
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
हिंदी
हिंदी
Dr.Archannaa Mishraa
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
Manisha Manjari
माधव मालती (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
माधव मालती (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
Subhash Singhai
आँखों से रिसने लगे,
आँखों से रिसने लगे,
sushil sarna
2768. *पूर्णिका*
2768. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पहला कदम
पहला कदम
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
"" *हाय रे....* *गर्मी* ""
सुनीलानंद महंत
जागो बहन जगा दे देश 🙏
जागो बहन जगा दे देश 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सफलता उस लहलहाती फ़सल की तरह है,
सफलता उस लहलहाती फ़सल की तरह है,
Ajit Kumar "Karn"
हमसे नजरें चुराओगे कब तक
हमसे नजरें चुराओगे कब तक
Jyoti Roshni
हकीकत
हकीकत
P S Dhami
--शेखर सिंह
--शेखर सिंह
शेखर सिंह
शीर्षक -मातृभाषा हिंदी
शीर्षक -मातृभाषा हिंदी
Sushma Singh
" यादें "
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी मोमबत्ती तुम।
मेरी मोमबत्ती तुम।
Rj Anand Prajapati
एक और सुबह तुम्हारे बिना
एक और सुबह तुम्हारे बिना
Surinder blackpen
चिंगारी
चिंगारी
Jai Prakash Srivastav
रुख बदल गया
रुख बदल गया
Sumangal Singh Sikarwar
दूसरो की लाइफ मैं मत घुसा करो अपनी भी लाइफ को रोमांचक होगी।
दूसरो की लाइफ मैं मत घुसा करो अपनी भी लाइफ को रोमांचक होगी।
Iamalpu9492
चूल्हे पर रोटी बनाती माँ
चूल्हे पर रोटी बनाती माँ
Ashwini sharma
फेरे में
फेरे में
सिद्धार्थ गोरखपुरी
क़िताबों से सजाया गया है मेरे कमरे को,
क़िताबों से सजाया गया है मेरे कमरे को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पढ़ते है एहसासों को लफ्जो की जुबानी...
पढ़ते है एहसासों को लफ्जो की जुबानी...
पूर्वार्थ
इंसानियत
इंसानियत
अशोक कुमार ढोरिया
दिलचस्प (लघुकथा)
दिलचस्प (लघुकथा)
Indu Singh
Loading...