चंद अशआर -ग़ज़ल
🥀 चंद अशआर 🥀
यादों को तेरी दिल से लगाकर रक्खा है ।
काम ज़रूरी है सबको बताकर रक्खा है ।।
ख़ाली छोड़ा है कोना दिल के आशियाने में ।
गमों के गुलदस्ते को वहीं सजाकर रक्खा है ।।
ज़रूरत पर जो…… फेर लेते हैं मुंह अक्सर ।
ऐसे रिश्तों को भी अब तक निभाकर रक्खा है ।।
हमारी हर दुआ में…… ज़िक्र है उनका मगर ।
उन्होंने अपने जेहन से हमको हटाकर रक्खा है ।।
लोग जला देतें हैं…………. खतों को वासिफ ।
उसने मेरे खतों को अब तक बचाकर रक्खा है ।।
© डॉक्टर वासिफ क़ाज़ी , इंदौर
© क़ाज़ी की कलम