चंदन
दीप दान पर्व आज मुझे, माँ देह दान कर जाने दे।
मेवाड धरा पर आज, चंदन को तिल तिल कट जाने दे।।
मन को कर पत्थर कठोर, आँखों मे पानी नही आने दे।
माँ तेरे वचनों के खातिर, आज मेवाडी सुरज हो जाने दे।।
मेवाड वंश की रक्षा को, माँ चंदन अपना तु चढ़ा देना ।
गढ़िया गुजर की चिंगारी से, शिशोदिया चिराग जगा देना।
पुत्र मोह को त्याग कर माँ, आज उदया संग सुला देना।
माँ कुछ देर के लिए मुझे, एकलिंग का दीवान बना देना।।
सूरज पिता माँ पन्ना का बेटा, चंदन आज अमर हो जायेगा।
माँ मेवाड धरा पर फिर से, मेवाडी सुरज उदय हो जायेगा
स्वामी भक्ति का यह पन्ना, इतिहास सदा पन्नाधाय से सीखेगा।।
इतिहास के पन्नो मे माँ पन्ना का, बलिदान चंदन का रक्त सीचेगा।।
पन्ना सहमी, दिल झिझक उठा, फिर चंदन को एक टक देखा।
धरती-अम्बर थे सब काँप उठे, काली का खप्पर भभक उठा।।
मेवाडी माटी के कण कण मे, चंदन की खुशबु दमक उठी।
मेरी कोख चंदन सा सुत जना, पन्ना का मन भम भम बोल उठा।।
अनिल चौबिसा