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24 Nov 2021 · 1 min read

चंचला वार्णिक छन्द

हौंस साध भानु रश्मि,प्रीत स्पर्श ऊर्मि धाय।
अश्रु ओस आप्त प्रेम , अंक मीत नर्म पाय।
भीजने लगे सु-भाव ,सृष्टि वृष्टि मुस्कियाय।
चक्र चातुरी अचूक , ईश के चलें सु-भाय ॥

____________अलका गुप्ता ‘भारती’___

Language: Hindi
1 Like · 463 Views
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