चंचला वार्णिक छन्द
हौंस साध भानु रश्मि,प्रीत स्पर्श ऊर्मि धाय।
अश्रु ओस आप्त प्रेम , अंक मीत नर्म पाय।
भीजने लगे सु-भाव ,सृष्टि वृष्टि मुस्कियाय।
चक्र चातुरी अचूक , ईश के चलें सु-भाय ॥
____________अलका गुप्ता ‘भारती’___
हौंस साध भानु रश्मि,प्रीत स्पर्श ऊर्मि धाय।
अश्रु ओस आप्त प्रेम , अंक मीत नर्म पाय।
भीजने लगे सु-भाव ,सृष्टि वृष्टि मुस्कियाय।
चक्र चातुरी अचूक , ईश के चलें सु-भाय ॥
____________अलका गुप्ता ‘भारती’___