नए पुराने रूटीन के याचक
नए साल के पहले दिन
लोगों का नया रूटीन है
धर्मस्थलों पर जुटे हैं वे
अपने कर्तव्य अकर्तव्य अपने आराध्यों को सौंपकर
अगले तीन सौ पैंसठ दिन के
कील कांटे अपने स्वार्थों के दुरुस्त करने को
भिखारी भी जुटे हैं बदस्तूर
धर्मस्थल से अपने लिए
निषेधित दूरी की तय हद में रहकर
हर दिन की तरह
धर्मभीरुओं से धर्मजूठन पाने को
भिखारियों को मालूम है
इन देवताओं की हकीकत
पुजारियों की तरह
वे इस खास मौके पर
अपनी पेट पूजा को
बहुत ज्यादा ही उन्मत्त भीड़ के हिसाबी दानशीलता से
पाने की आज उम्मीद में हैं
पर हैं ये भिक्षुक अपने स्वाभाविक रूटीन पर ही।