घर
चन्द दीवारें, खिड़कियां, दरवाजे
और ऊपर एक छत, बस यही नहीं होता है घर ।
उसमे रहने वाले लोगों के प्यार,दुख दर्द,
खुशियों और भावनाओं का संग्रह है घर ।।
हर किसी का सपना होता है
की बनाए वो अपना एक घर ।
कोई बड़ा घर चाहता है तो
कोई चाहता है छोटा सा घर ।।
चाव से बनाते है सब नया घर
फिर भी याद आता है पुराना घर।
जिसमे वो जन्मा, जहां बचपन बीता,
जिसके कोने कोने में है उसके
बचपन की यादें, वो पुराना घर।।
घर जब बनता है किसी का सिर्फ
घर नहीं उसके सपने साकार होते है ।
घर तो सभी सपनों से जुड़े होते है
अलग तो सिर्फ घरों के आकर होते है ।।
सभी को उसके सपनों का घर मिले,
जिसमें रोज़ आए दीवाली की रात।
उसमे खुशियां मनाएं मिलकर सभी
और प्यार से रहे अपनों के साथ ।।