Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jul 2023 · 1 min read

*घर में बैठे रह गए , नेता गड़बड़ दास* (हास्य कुंडलिया

घर में बैठे रह गए , नेता गड़बड़ दास (हास्य कुंडलिया)
___________________________
घर में बैठे रह गए , नेता गड़बड़ दास
मंत्री-पद की अब नहीं ,बाकी कोई आस
बाकी कोई आस ,दाँव कुछ काम न आया
शपथ हो गई पूर्ण , देखकर दिल घबराया
कहते रवि कविराय ,स्वप्न टूटे क्षण-भर में
पहने अचकन खास , रह गए बैठे घर में
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451

124 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
*कौशल्या (कुंडलिया)*
*कौशल्या (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सत्य प्रेम से पाएंगे
सत्य प्रेम से पाएंगे
महेश चन्द्र त्रिपाठी
ऑनलाइन फ्रेंडशिप
ऑनलाइन फ्रेंडशिप
Dr. Pradeep Kumar Sharma
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
कवि रमेशराज
#सम_सामयिक
#सम_सामयिक
*Author प्रणय प्रभात*
व्यक्ति के शब्द ही उसके सोच को परिलक्षित कर देते है शब्द आपक
व्यक्ति के शब्द ही उसके सोच को परिलक्षित कर देते है शब्द आपक
Rj Anand Prajapati
💐प्रेम कौतुक-406💐
💐प्रेम कौतुक-406💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बंसत पचंमी
बंसत पचंमी
Ritu Asooja
*सत्य  विजय  का पर्व मनाया*
*सत्य विजय का पर्व मनाया*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
नवसंवत्सर लेकर आया , नव उमंग उत्साह नव स्पंदन
नवसंवत्सर लेकर आया , नव उमंग उत्साह नव स्पंदन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*लटें जज़्बात कीं*
*लटें जज़्बात कीं*
Poonam Matia
एक एक ख्वाहिशें आँख से
एक एक ख्वाहिशें आँख से
Namrata Sona
उसने कहा....!!
उसने कहा....!!
Kanchan Khanna
क्या कहुं ऐ दोस्त, तुम प्रोब्लम में हो, या तुम्हारी जिंदगी
क्या कहुं ऐ दोस्त, तुम प्रोब्लम में हो, या तुम्हारी जिंदगी
लक्की सिंह चौहान
घर के मसले | Ghar Ke Masle | मुक्तक
घर के मसले | Ghar Ke Masle | मुक्तक
Damodar Virmal | दामोदर विरमाल
Ek galti har roj kar rhe hai hum,
Ek galti har roj kar rhe hai hum,
Sakshi Tripathi
आलोचक सबसे बड़े शुभचिंतक
आलोचक सबसे बड़े शुभचिंतक
Paras Nath Jha
अपनी मर्ज़ी
अपनी मर्ज़ी
Dr fauzia Naseem shad
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
3322.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3322.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
बहाना मिल जाए
बहाना मिल जाए
Srishty Bansal
बिन पैसों नहीं कुछ भी, यहाँ कद्र इंसान की
बिन पैसों नहीं कुछ भी, यहाँ कद्र इंसान की
gurudeenverma198
जाने कैसी इसकी फ़ितरत है
जाने कैसी इसकी फ़ितरत है
Shweta Soni
नयी भोर का स्वप्न
नयी भोर का स्वप्न
Arti Bhadauria
वक्त के रूप में हम बदल जायेंगे...,
वक्त के रूप में हम बदल जायेंगे...,
कवि दीपक बवेजा
बंद मुट्ठी बंदही रहने दो
बंद मुट्ठी बंदही रहने दो
Abasaheb Sarjerao Mhaske
-- नफरत है तो है --
-- नफरत है तो है --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
जिंदगी को मेरी नई जिंदगी दी है तुमने
जिंदगी को मेरी नई जिंदगी दी है तुमने
Er. Sanjay Shrivastava
राम पर हाइकु
राम पर हाइकु
Sandeep Pande
कविता
कविता
Vandana Namdev
Loading...