घर-घर तिरंगा
ऑगन से लेकर अंतरिक्ष तक
आगाज से लेकर लक्ष तक
ये प्यारा तिरंगा लहराना है
घर-घर तिरंगा फहराना है
धरती से लेकर मंगल तक
खेलकूद से लेकर दंगल तक
तिरंगा विश्व में लहराना है
घर-घर तिरंगा फहराना है
गाँव से लेकर शहर तक
सागर से लेकर शिखर तक
ये प्यारा तिरंगा लहराना है
घर-घर तिरंगा फहराना है
अलसुबह से लेकर शाम तक
मेहनत से लेकर आराम तक
मधुर देश राग यह गाना है
घर-घर तिरंगा फहराना है
चौकी से लेकर सीमा तक
सम्मान से लेकर गरिमा तक
तिरंगा ऊचॉ सदा उठाना है
घर-घर तिरंगा फहराना है
पूरब से लेकर पश्चिम तक
उत्तर से लेकर दक्षिण तक
सब ओर ही तिरंगा छाना है
घर-घर तिरंगा फहराना है
दिल से लेकर दिमाग तक
साज से लेकर राग तक
सब को यही गुनगुनाना है
घर-घर तिरंगा फहराना है
छोटे से लेकर बड़े तक
पीछे पंक्ति में खड़े तक
सब पर प्रेम बरसाना है
घर-घर तिरंगा फहराना है
प्रतिक्षा से लेकर परीक्षा तक
राष्ट्र के गौरव की रक्षा तक
हरदम इसका मान बढ़ाना है
घर-घर तिरंगा फहराना है
क्षितिज से लेकर आसमान तक
जन्मभूमि से लेकर जहान तक
नभ पर भी तिरंगा लहराना है
सभी घर-घर तिरंगा फहराना है
~०~
मौलिक एवं स्वरचित : कविता प्रतियोगिता
रचना संख्या -१७: मई २०२४.©जीवनसवारो