– घर -घर की बाते –
– घर – घर की बाते –
पहले होती थी परिवार में एकता,
होता था हमेशा बड़े बुजुर्गो का सम्मान,
रहते थे एक दूसरे पर निर्भर,
करते थे मिलजुल कर घर के सभी काम,
दुश्मनों में सदा रहता था परिवार की एकता का भय,
आजकल वो एकता ना जाने कहा गई,
परिवार में वो एकता
वचस्व की लड़ाई में बट गई,
अब होता नही है घर में बड़े बुजुर्गो का मान सम्मान,
रहते है आजकल अपने आपको परिवार से पृथक जान,
आजकल हो गई है यह सब घर -घर की बाते,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क 7742016184