घर की मालिक घरवाली
आज विश्व हास्य दिवस है,
सभी हास्य कवियों, चुटकुलों के रचयिताओं, मिमिक्री आर्टिस्टों तथा पत्नी के सताये पतियों 😄 को हार्दिक बधाई I इस अवसर पर प्रस्तुत है एक हास्य कविता:
घर की मालिक है घरवाली
घर की मालिक है घरवाली, घर उसका संसार सखे I.
घर के भीतर तो उसका ही, सारा कारोबार सखे II
भले बैंक का खाता अपना क्रेडिट कार्ड हमारा है I.
किंतु पासवर्ड उनका है, कैसा अत्याचार सखे II
ए जी, ओ जी और सुनो जी, सुनते सुनते उम्र हुई II
अपना तो हाँ जी, हाँ जी, हाँ जी, में बेड़ा पार सखे II
मेरे पास कलम है केवल कागज ही रंग सकती है।
उन पर बेलन चिमटे जैसे, सब घातक हथियार सखे।I
ढूंढ रहा था पंडित जी को जिसने वचन पढाये थे।
देखा वह तो खुद ही, पंडिताइन के ताबेदार सखे।I
जीवन यदि सुखमय चाहो तो नतमस्तक होना सीखो I
घर को समझो मानो, मातारानी का दरबार सखे I
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद I