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26 Jul 2019 · 1 min read

#घर अपना आकाश बनालो

धार्मिक आडंबर तुम छोड़ो, शिक्षा से नाता अब जोड़ो।
क़िस्मत के दरवाज़े खोलो, क़दम कभी मत पीछे मोड़ो।।
सोये रहोगे कब तक सूने, जागो-जागो वक़्त पुकारे।
अब अधिकारों को पहचानो, लाचारी को लगा किनारे।।

अँधे होकर गर दौड़ोगे, गिर जाओगे न संभलोगे।
विवेक शून्य तुम्हारा होगा, फिर कैसे जीवन बदलोगे।।
सोचो समझो तुम ध्यान करो, यही समय की नेक दुहाई।
खुद की ताक़त खुद बनना, इस जीवन की है सच्चाई।।

कमजोरी है एक गुलामी, ताक़त को दें सभी सलामी।
कसो लगाम हीनता पर तुम, शरमाएगी फिर नाकामी।।
ज्ञानी बनके जीना सीखो, अँधियारों के जुगनू होकर।
लिखो सफलता के अफ़साने, जग रोशन करो भानु होकर।।

मंदिर मस्ज़िद गिरजा सारे, चाहे जाओ तुम गुरु-द्वारे।
पाठ पढ़ाते मिलके प्यारे, सदा मेहनत काम सँवारे।।
मन को अपना दास बनालो, ऊँचाई अभ्यास बनालो।
चमकोगेओ चाँद सरिस जग, घर अपना आकाश बनालो।

#आर.एस.प्रीतम
सर्वाधिकार सुरक्षित–radheys581@gmail.com

Language: Hindi
1 Like · 526 Views
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