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26 May 2023 · 1 min read

घन बरसते जा रहे हैं

* गीत *
~~
छम छमाछम देखिए तो,
घन बरसते जा रहे हैं।

तृप्त होती है धरा जब, हो भरा हर ओर पानी।
खूब मनभावन मधुर है, सावनी ऋतु की कहानी।
बिन रुके हर ओर श्यामल, घन उमड़ते जा रहे हैं।
छम छमाछम देखिए तो,
घन बरसते जा रहे हैं।

भीगने का मन लिए जब, स्वप्न आंखों में चमकते।
भावनाओं में निरंतर, सिंधु जैसे ज्वार उठते।
प्रीति के नव भाव मन में, ज्यों मचलते जा रहे हैं।
छम छमाछम देखिए तो,
घन बरसते जा रहे हैं।

खूब मीठी एक सिहरन, भीगते तन में उठी है।
पांव की पायल खनकती, टीस मृदु मन में उठी है।
अब कदम रुकते नहीं ये, बस बहकते जा रहे हैं।
छम छमाछम देखिए तो,
घन बरसते जा रहे हैं।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि. प्र.)

2 Likes · 67 Views
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