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29 Jul 2018 · 1 min read

गज़ल :प्यार मुहब्बत करना,लेकिन धीरे धीरे

प्यार मुहब्बत करना,लेकिन धीरे धीरे।
हद से ज्यादा बढ़ना,लेकिन धीरे धीरे।।

उनको भी अहसास गमों का होने देना।
आग लगाते रहना,लेकिन धीरे धीरे।।

सीढ़ी चढ़ना उल्फत में आसान नहीं।
दिल मे उनके बसना,लेकिन धीरे धीरे।।

पीछा करते उनके घर पे मत जाना तुम।
प्यार जताना कहना,लेकिन धीरे धीरे।

आँखों से पल भर में सब-कुछ कह देंगी वो।
आँखें उसकी पढ़ना,लेकिन धीरे धीरे।।

‘शुभम्’ मुहब्बत में वो तुम पे मर जायेगी।
इश्क़ निभाते चलना,लेकिन धीरे धीरे।।

-अभिषेक कुमार शुक्ल “शुभम्”(कवि)

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