ग्रीष्म ऋतु भाग २
हरे भरे आम की बगिया में
केरी के गुच्छे लगने लगे हैं।
पलाश हुआ है बेरंग पर
नीम के रंग अब जमने लगे हैं।
पतझड़ जंगल बिन पत्ते वृक्ष
त्यागी तपस्वी से लगने लगे हैं।
शनै शनै विष्णु देश काल में
ग्रीष्म के तेवर बढ़ने लगे हैं।
– विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’
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