ग्रहों की चाल
क्यों फंसते हो ग्रहों की चाल में,
तेरा भविष्य तो तेरे कर्मो की छाया है।
कितनी भी तू कर ले पूजा पाठ,
किस्मत से ज्यादा क्या किसी ने पाया है।
लगा लो चक्कर चाहे पुजारियों का,
तुम अन्धविश्वास में अपने।
बड़ा मुश्किल है जो पूरा हो,
दिखाएँ हैं उन्होंने जो सपने।
तो सत्य स्वीकार आगे बढ़,
बाकी सब तो कोरी माया है।
किस्मत से ज्यादा क्या किसी ने पाया है।
ग्रहों को शांत कराने खातिर,
बहाया है पैसा तुमने जी भर।
तेरे कर्मो से है जो लिखा,
बदल ना पायेगा उसे कोई नर।
जो तू बोकर के आया है,
वही तो काट कर के खाया है।
किस्मत से ज्यादा क्या किसी ने पाया है।
करो विश्वास तुम अपनी,
मेहनत की डगर पर।
फिर जो भी आता है राह में,
स्वीकार करो उसको हंस कर।
तो फिर क्या डर है खोने का,
जो तू खाली हाँथ ही आया है।
किस्मत से ज्यादा क्या किसी ने पाया है।