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10 Feb 2021 · 1 min read

गौरी गंगा बीच में

गौरी गंगा बीच में,करती है अब योग।
किस विधि अब उसके कटें,छूटें सारे रोग।।
छूटें सारे रोग, हुई जो मन से घायल।
छोड़ दिया सब साज,तजे हैं बिंदिया पायल।।
कहै अटल कविराय,होय कैसे मन चंगा।
दुआ रही है मांग,कष्ट हर ले सब गंगा।।

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