गोदी मे सिर रख दूँ
*** गोदी में सिर रख दूं ***
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कहो तो गोदी में सिर रख लूँ,
मन की बातें मै सारी बक दूँ।
बहुत दिनों से थी अभिलाषा,
दिल की कह दूँ थी जिज्ञासा,
दुख सुख तेरा पल में हर लूँ।
कहो तो गोदी मे सिर रख लूँ।
चार दिनों की है ये जिंदगानी,
प्रेम पथ पर न् कोइ बेइमानी,
खुशियों के सारे पल धर दूँ।
कहो तो गोदी में सिर रख दूँ।
खुद से ज्यादा तुम को चाहूं,
प्रेम पहेली मैं कैसे सुलझाऊं,
तन-मन को तेरे नाम कर दूं।
कहो तो गोदी में सिर रख दूं।
इतना भी हमें मत समझाओ,
बातों मे न हमको बहकाओ,
अपनी जान सूली पर धर दूँ।
कहो तो गोदी में सिर रख दूँ।
मनसीरत की समझो पीड़ा,
प्यार का कभी मरे न कीड़ा,
आओ ज़रा बांहों मे भर लूँ।
कहो तो गोदी में सिर रख दूँ।
कहो तो गोदी मे सिर रख दूँ,
मन की बातें मै सारी बक दूँ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)