Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Aug 2021 · 2 min read

गेहूं गाहने का अनुभव

आज गांव में फिर वो
खलियान मुझे दिखा
जहां बचपन में खेलते थे
हम भाई बहनों के साथ।।

मेरी आंखों के सामने बचपन का
वो दृश्य सामने दिख रहा था
खलियान में क्या क्या करते थे
हम सब मिलकर याद आ रहा था।।

सुबह ही गेहूं के पुले काटकर
खलियान में फैला दिए जाते थे
सूख जाए जब दोपहर को बैलों के साथ
हम बच्चे भी खलियान में उतार दिए जाते थे।।

हम बच्चों के लिए थी मस्ती वो
लेकिन बैलों के लिए काम था
गेहूं गाहते वक्त मेढ़ी जो बनता था
मेरे उस बैल का नाम माल्टू था।।

हमारे साथ बछड़े भी गेहूं
गाहने का अनुभव लेते थे
जब मौका लगता था उनको
थोड़े गेहूं की सूखे तिनके खा जाते थे।।

जब मेरी मां डंडा लेकर
बैलों को हांकती थी
धीरे धीरे सूखे गेहूं का
भूसा वो बना देती थी।।

बैलों को देकर विश्राम फिर
परिवार के सब लोग, डंडों से
पीट पीट कर बचे हुए
सूखे गेहूं की फलियों से
गेहूं के दाने अलग करते थे।।

जब काफी देर हो जाती तो
बीच बीच में भूसा अलग करते थे
जब खलिहान में सिर्फ थोड़ा
भूसा और गेहूं के दाने रह जाते थे।।

हमारा और बैलों का काम
फिर समाप्त हो जाता था
हवा के इंतज़ार में ही अब
आगे का काम रुक जाता था।।

शाम को आने वाली हवा का रुख
उसे खडौली की तरफ होता था
जिसमें हम सारा भूसा रखते थे
जैसे ही हवा चलती नीचे ओड़ी रखते
और भूसे के साथ मिले गेहूं के दानों को
शूप में लेकर ऊंचाई से ओड़ी में फेंकते
जिससे गेहूं के दाने ओड़ी में गिरते थे
और भूसा सीधे खडौली में गिरता था।।

जो काम आसान लगता है आज,
कल वो मुश्किल से होता था
किसान खुद उठाकर कंधों पर
खेतों से सारा गेहूं लाता था।।

कभी कभी बचपन की यादें
अचानक आंखों के सामने आती है
और हमें फिर से बचपन के
उन सुहाने दिनों में लेकर जाती है।।

शब्दार्थ
गाहना – गेहूं के दानों को अलग करने की प्रक्रिया
खडौली – खलियान के साथ घास एवम भूसे का भंडारण करने के लिए पत्थरों एवम मिट्टी से बना कमरा
ओड़ी – भंडारण के लिए टिन का बड़ा बर्तन

Language: Hindi
10 Likes · 5 Comments · 665 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
View all
You may also like:
Dilemmas can sometimes be as perfect as perfectly you dwell
Dilemmas can sometimes be as perfect as perfectly you dwell
Sukoon
निगाहें
निगाहें
Sunanda Chaudhary
कुछ बातें मन में रहने दो।
कुछ बातें मन में रहने दो।
surenderpal vaidya
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
अंधकार जितना अधिक होगा प्रकाश का प्रभाव भी उसमें उतना गहरा औ
Rj Anand Prajapati
धुंध इतनी की खुद के
धुंध इतनी की खुद के
Atul "Krishn"
मन नहीं होता
मन नहीं होता
Surinder blackpen
तुम्हारे स्वप्न अपने नैन में हर पल संजोती हूँ
तुम्हारे स्वप्न अपने नैन में हर पल संजोती हूँ
Dr Archana Gupta
साँप का जहर
साँप का जहर
मनोज कर्ण
रास्ता दो तो हम भी चार कदम आगे बढ़ें...
रास्ता दो तो हम भी चार कदम आगे बढ़ें...
Shweta Soni
वक्त
वक्त
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
#𑒫𑒱𑒔𑒰𑒩
#𑒫𑒱𑒔𑒰𑒩
DrLakshman Jha Parimal
" मैं "
Dr. Kishan tandon kranti
अचानक जब कभी मुझको हाँ तेरी याद आती है
अचानक जब कभी मुझको हाँ तेरी याद आती है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
"The Divine Encounter"
Manisha Manjari
दोहा - चरित्र
दोहा - चरित्र
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आज के माहौल में
आज के माहौल में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
औरों की बात मानना अपनी तौहीन लगे, तो सबसे पहले अपनी बात औरों
औरों की बात मानना अपनी तौहीन लगे, तो सबसे पहले अपनी बात औरों
*प्रणय प्रभात*
जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी
जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी
ruby kumari
आवारापन एक अमरबेल जैसा जब धीरे धीरे परिवार, समाज और देश रूपी
आवारापन एक अमरबेल जैसा जब धीरे धीरे परिवार, समाज और देश रूपी
Sanjay ' शून्य'
"गरीबों की दिवाली"
Yogendra Chaturwedi
*.....मै भी उड़ना चाहती.....*
*.....मै भी उड़ना चाहती.....*
Naushaba Suriya
3297.*पूर्णिका*
3297.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कहां ज़िंदगी का
कहां ज़िंदगी का
Dr fauzia Naseem shad
काश कभी ऐसा हो पाता
काश कभी ऐसा हो पाता
Rajeev Dutta
पुस्तक
पुस्तक
Sangeeta Beniwal
"Let us harness the power of unity, innovation, and compassi
Rahul Singh
क्यों बदल जाते हैं लोग
क्यों बदल जाते हैं लोग
VINOD CHAUHAN
रक्तदान
रक्तदान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
హాస్య కవిత
హాస్య కవిత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
दोहा पंचक. . . नारी
दोहा पंचक. . . नारी
sushil sarna
Loading...