Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 2 min read

गूॅंज

जो गौर किया तब यही पाया, ये प्रकृति निष्पक्ष व्यवहार करती है।
नीति-रीति या प्रीति-प्रतीति, ये सभी प्रकृति की हुंकार से डरती हैं।
कर्म, धर्म और मर्म सबको, निश्चित क्रमानुसार ही सुनवाई देती है।
जो दिल की खिड़की खुले, तो विविध देशों की गूॅंज सुनाई देती है।

आकर्षण हो या फिर विकर्षण, स्मृतियों के दर्पण में इंतज़ार देखो।
ग्रीष्म की चुभन, शरद की ठिठुरन व बसंत की अमिट बहार देखो।
हमें रिमझिम फुहारों के बाद ही, एक सतरंगी छटा दिखाई देती है।
जो दिल की खिड़की खुले, तो विविध देशों की गूॅंज सुनाई देती है।

सोच से विकास-विनाश सब संभव, हाथ तो केवल साधन होते हैं।
बात करने से ही बात बन जाए, बैठक-चर्चा तो बस वाहन होते हैं।
संवाद करने की कुशलता ही, हमारे बंद विचारों को रिहाई देती है।
जो दिल की खिड़की खुले, तो विविध देशों की गूॅंज सुनाई देती है।

न ओर-छोर, न ही गौर-दौर, हमारी पृथ्वी तो हर जगह से गोल है।
सौहार्द जिसके कोने में दिखे, समझ लो तुम वो हृदय अनमोल है।
ऐसे व्यवहार की वृहद पुनरावृति, वैश्विक रिश्ते को गहराई देती है।
जो दिल की खिड़की खुले, तो विविध देशों की गूॅंज सुनाई देती है।

स्वदेश में बसो या परदेश चले जाओ, चाहे सात समंदर पार करो।
तरीका व सलीका सही रखो, जन का परिजन जैसा सत्कार करो।
मानवीय मूल्यों की यही वृद्धि, सत्कर्म व सद्भाव को बढ़ाई देती है।
जो दिल की खिड़की खुले, तो विविध देशों की गूॅंज सुनाई देती है।

कुछ देशों में आज निरंतर, अधर्म, अन्याय व अत्याचार हो रहा है।
सुख-शांति से बसी दुनिया में, प्राणी रोगी-भोगी बनकर रो रहा है।
युद्ध, दंगे, हिंसा, झड़प के ऊपर, स्वयं धरती माँ भी दुहाई देती है।
जो दिल की खिड़की खुले, तो विविध देशों की गूॅंज सुनाई देती है।

एक है भूमि पर असंख्य हैं देश, एक है काया पर असंख्य हैं भेष।
जब एक भूमि व एक भाव रहें, उस दिन हो स्वर्णिम युग में प्रवेश।
सोच सही हो तो स्वयं नियति, जन-जन के श्रम को बधाई देती है।
जो दिल की खिड़की खुले, तो विविध देशों की गूॅंज सुनाई देती है।

आज कुटुंब की भांति पूरा संसार, एक छत्र के नीचे आने लगा है।
वो मानवता में छिपा धर्म-मर्म, अब पूरे विश्व को समझाने लगा है।
सच्चे दिल से दी गई हर दुआ, जीवन को नवीनतम ऊॅंचाई देती है।
जो दिल की खिड़की खुले, तो विविध देशों की गूॅंज सुनाई देती है।

1 Like · 89 Views
Books from हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
View all

You may also like these posts

*बेसहारा बचपन*
*बेसहारा बचपन*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
डॉ अरुण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक
डॉ अरुण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दुनिया रंग दिखाती है
दुनिया रंग दिखाती है
Surinder blackpen
हर दिल में एक टीस उठा करती है।
हर दिल में एक टीस उठा करती है।
TAMANNA BILASPURI
हाँ !भाई हाँ मैं मुखिया हूँ
हाँ !भाई हाँ मैं मुखिया हूँ
SATPAL CHAUHAN
जुनूनी दिल
जुनूनी दिल
Sunil Maheshwari
मेहनत
मेहनत
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
अटल खड़े देवदार ये
अटल खड़े देवदार ये
Madhuri mahakash
*आँखों से  ना  दूर होती*
*आँखों से ना दूर होती*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
किसी के दुःख को अपनें भीतर भरना फिर एक
किसी के दुःख को अपनें भीतर भरना फिर एक
Sonam Puneet Dubey
कहते हैं लगती नहीं,
कहते हैं लगती नहीं,
sushil sarna
.
.
*प्रणय*
2993.*पूर्णिका*
2993.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम्हारी चाहतें
तुम्हारी चाहतें
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
I was happy
I was happy
VINOD CHAUHAN
*आजादी और कर्तव्य*
*आजादी और कर्तव्य*
Dushyant Kumar
“इटरमीडियट कैड़र का ड्रामा प्रतियोगिता”
“इटरमीडियट कैड़र का ड्रामा प्रतियोगिता”
DrLakshman Jha Parimal
कहानी -
कहानी - "सच्चा भक्त"
Dr Tabassum Jahan
फेसबुक वाला प्यार
फेसबुक वाला प्यार
के. के. राजीव
अपनी इस तक़दीर पर हरपल भरोसा न करो ।
अपनी इस तक़दीर पर हरपल भरोसा न करो ।
Phool gufran
लोग पथ से भटक रहे हैं
लोग पथ से भटक रहे हैं
Sudhir srivastava
भले संसद आरक्षित
भले संसद आरक्षित
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
हमसे ये ना पूछो कितनो से दिल लगाया है,
हमसे ये ना पूछो कितनो से दिल लगाया है,
Ravi Betulwala
* शक्ति आराधना *
* शक्ति आराधना *
surenderpal vaidya
शिव सबके आराध्य हैं, रावण हो या राम।
शिव सबके आराध्य हैं, रावण हो या राम।
Sanjay ' शून्य'
शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है दोस्तों यहां पर,
शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है दोस्तों यहां पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वक्त के शतरंज का प्यादा है आदमी
वक्त के शतरंज का प्यादा है आदमी
सिद्धार्थ गोरखपुरी
आसां  है  चाहना  पाना मुमकिन नहीं !
आसां है चाहना पाना मुमकिन नहीं !
Sushmita Singh
मुस्कुराओ मगर इशारा नहीं करना
मुस्कुराओ मगर इशारा नहीं करना
Arjun Bhaskar
Loading...