* गूगल वूगल *
डॉ अरुण कुमार शास्त्री ?एक अबोध बालक ?अरुण अतृप्त
* गूगल वूगल *
सालों साल निकल जाते हैं
हम सब बिसरा ते जाते हैं ।।
छोटी सी यादाश्त हमारी
क्या क्या रखें, भूलते जाते हैं ।।
गूगल वूगल देव अजूबा
हर हरकत पर नज़र रखूँगा ।।
एक एक पल जो जो बीता
इनके सँग, ये तो सब लिखते जाते हैं
नहीं भूलते बातें शातें
नही भूलते दिन और घटना
पलट पलट कर साल महीना
दिन पर दिन दोहराते हैं
सालों साल निकल जाते हैं
हम सब बिसरा ते जाते हैं ।।
छोटी सी यादाश्त हमारी
क्या क्या रखें, भूलते जाते हैं ।।
इनकी माया अज़ब निराली
इनकी जेब नही है खाली
वैसे तो सेवाओं का ये
कोई शुल्क नही पाते हैं
फिर भी देखो भैया
दिन पर दिन दौलत का
भंडारण कर के माल कमाते है
अजी ढेरों का हैं माल कमाते
हमको तो बस ठुल्ला देकर
बरबस ही ललचाते हैं
फ़्रेंड बनाओ फ़्रेंड बनाओ
फ़्रेंड बनाओ फ़्रेंड बनाओ ।।
जबरदस्ती की चोंच लड़ाओ
कर कर अंगुली आंख हमारी
रह रह कर हमको उकसाते हैं
हाय रह रह कर हम को उकसाते हैं
सालों साल निकल जाते हैं
हम सब बिसरा ते जाते हैं ।।
छोटी सी यादाश्त हमारी
क्या क्या रखें, भूलते जाते हैं ।।
भंडारण की इनको कमी नहीं है
चित्र भेज दो भर भर चाहे अनेकों
पंद्रह जी बी डाटा देकर
रोज रोज धमकाते हैं
खत्म हो रहा खत्म हो रहा
सेवाएँ भी ऐसे ये रोके जाते हैं
फ़्रेंड बनाओ फ़्रेंड बनाओ
फ़्रेंड बनाओ फ़्रेंड बनाओ ।।
जबरदस्ती की चोंच लड़ाओ
कर कर अंगुली आंख हमारी
रह रह कर हमको उकसाते हैं
हाय रह रह कर हम को उकसाते हैं