गुल्ली डंडा
आसमान के तारे अम्मा
हमको लगते हैं प्यारे।
चलो तोड़ लाएं इनको
यह तो है कितने सारे।।
पापा-मम्मी, दादा-दादी
सब मिलकर आकाश चलें।
रोज देखते हम तो इनको
मन होता इनसे मिल लें।।
चाचा ले लो बड़ा-सा थैला
तारे कुछ ले आएंगे।।
घर की बत्ती जब गुल होगी
इनसे उजाला पाएंगे।।
हम खेलेंगे और कूदेंगे
खेलें साथ में यह तारे।।
छुपा छिपाई, गिल्ली-डंडा
दुनिया से है ये न्यारे।।
विजय बेशर्म