“गुलशन”
“गुलशन”
चार चाँद सी लग जाती गुलशन में
इस दिवा-रात्रि के उसूल तले,
जहाँ फूल हो वहाँ होते हैं काँटे
जीवन में सुख-दुःख साथ बढ़े-पले।
“गुलशन”
चार चाँद सी लग जाती गुलशन में
इस दिवा-रात्रि के उसूल तले,
जहाँ फूल हो वहाँ होते हैं काँटे
जीवन में सुख-दुःख साथ बढ़े-पले।