Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jul 2019 · 1 min read

गुमराह मत हो जिन्दगी

हो रहे नशे के गर्त में
गुमराह बच्चे
उन्हें सही राह दिखाना है
हाथ पकड़ कर चलना है
बन कर उनके साथी सच्चे

इन्सान आज
खुद ही है गुमराह
भ्रष्टाचार के जाल में
जब निकलेगी
अंतरात्मा से आवाज
ईमानदारी की
भ्रष्ट मुक्त होगा
देश समाज अपना

गुमराह करने को
बहुत है दुनियाँ में
रहेगे जागरूक
तो नहीं फंसेगे जंजाल में

ईश्वर है सही राह
दिखाने वाला
विश्वास रखो उस पर
फिर न रहेगी गुंजाइश कोई
गुमराह होने की

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
209 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*बीमारी न छुपाओ*
*बीमारी न छुपाओ*
Dushyant Kumar
सब अनहद है
सब अनहद है
Satish Srijan
* शक्ति स्वरूपा *
* शक्ति स्वरूपा *
surenderpal vaidya
योग का एक विधान
योग का एक विधान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
"बहाव"
Dr. Kishan tandon kranti
भाव और ऊर्जा
भाव और ऊर्जा
कवि रमेशराज
मनहरण घनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
प्रेम पीड़ा
प्रेम पीड़ा
Shivkumar barman
💐प्रेम कौतुक-366💐
💐प्रेम कौतुक-366💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
शाकाहारी बने
शाकाहारी बने
Sanjay ' शून्य'
कोई टूटे तो उसे सजाना सीखो,कोई रूठे तो उसे मनाना सीखो,
कोई टूटे तो उसे सजाना सीखो,कोई रूठे तो उसे मनाना सीखो,
Ranjeet kumar patre
नूतन वर्ष
नूतन वर्ष
Madhavi Srivastava
2629.पूर्णिका
2629.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
स्वतंत्रता और सीमाएँ - भाग 04 Desert Fellow Rakesh Yadav
स्वतंत्रता और सीमाएँ - भाग 04 Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
मतदान और मतदाता
मतदान और मतदाता
विजय कुमार अग्रवाल
*नृप दशरथ चिंता में आए (कुछ चौपाइयॉं)*
*नृप दशरथ चिंता में आए (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
माँ तेरी याद
माँ तेरी याद
Dr fauzia Naseem shad
मेरी दुनियाँ.....
मेरी दुनियाँ.....
Naushaba Suriya
सूखी टहनियों को सजा कर
सूखी टहनियों को सजा कर
Harminder Kaur
हो गई जब खत्म अपनी जिंदगी की दास्तां..
हो गई जब खत्म अपनी जिंदगी की दास्तां..
Vishal babu (vishu)
जय भोलेनाथ
जय भोलेनाथ
Anil Mishra Prahari
★साथ तेरा★
★साथ तेरा★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
पेडों को काटकर वनों को उजाड़कर
पेडों को काटकर वनों को उजाड़कर
ruby kumari
!..................!
!..................!
शेखर सिंह
जो बनना चाहते हो
जो बनना चाहते हो
dks.lhp
मुझे तुमसे प्यार हो गया,
मुझे तुमसे प्यार हो गया,
Dr. Man Mohan Krishna
छिपकली बन रात को जो, मस्त कीड़े खा रहे हैं ।
छिपकली बन रात को जो, मस्त कीड़े खा रहे हैं ।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
देश प्रेम
देश प्रेम
Dr Parveen Thakur
■ “दिन कभी तो निकलेगा!”
■ “दिन कभी तो निकलेगा!”
*Author प्रणय प्रभात*
अभी मेरी बरबादियों का दौर है
अभी मेरी बरबादियों का दौर है
पूर्वार्थ
Loading...