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17 May 2023 · 1 min read

गुमनाम……..

कभी सुर्खियों में था आज गुमनाम हूँ।
रौनके महफिल का आज बदनाम हूँ॥

जो थकते थे ना लब कभी मेरे जिक्र में।
आज चर्चा भी नहीं होती कि मैं इंसान हूँ॥

मेरे आने छा जाती थी रोशनी जहाँ।
आज कहते है कि बुझता हुआ मैं चिराग हूँ॥

बदल गई है इंसान की इंसानियत इतनी।
गैर तो गैर अपने भी नहीं समझते की मैं इंसान हूँ।।

बिकाउ हो गई है सारे रिश्ते इस जहां में।
जिसका लगता नही मोल वह मैं समान हूँ।।

सहेज रहा हूँ जिंदगी के बिखरे पन्ने को।
गर्द से ढ़की हुई वही मैं किताब हूँ।।
*****

Language: Hindi
1 Like · 141 Views
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