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2 Dec 2019 · 1 min read

गुब्बारा

गुब्बारा
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गुब्बारा केवल गुब्बारा नहीं है
इसमें खुद के अस्तित्व को दुनिया की नज़रों से छिपाकर बैठी मौन हवा निर्जीव गुब्बारे को खुशियों का रूप धरे रखने में निरंतर प्रयासरत उसके साथ बनी रहती है !
हवा के अस्तित्व से अंजान हम केवल गुब्बारे के रंग-रूप, आकार और स्पर्श पर मोहित होकर, उससे खेलकर , उसे सजाकर अपनी खुशियाँ साझा करते हैं !
इस अदृश्य हवा के दम पर ही गुब्बारे का पूरा वजूद टिका रहता है ! किसी को भी नज़र न आने वाली इस हवा को अपने भीतर समेटे वह गुब्बारा बड़ी ही शान से हर उम्र के व्यक्तियों को खुशियां बाँटता रहता है !
लेकिन ज़रा सी भी तिनके भर खरोंच के साथ ही हवा गुब्बारे के हृदय से संबंध विच्छेद करने में पल भर की भी देरी नहीं करती और गुब्बारे के अस्तित्व को मिटा यह संदेश भी दे जाती है कि वह उसके साथ बस तभी तक बनी रहेगी जब तक कोई अविश्वास, छल और अहंकार का तिनका इनका मन बेंध कर इन दोनों के बीच नहीं आ जाता !
बस यही नियम हमारे संबंधों में भी लागू होता है !
©®Sugyata

Language: Hindi
Tag: लेख
453 Views

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