गीत
‘अधूरे सपने’ गीत’
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साथ मिला होता जीवन में ,
किलकारी हँसती आँगन में।
उदित भानु की लाली लेकर,
सिंदूरी माँग सजाती मैं।
भोर की रश्मि की रोली से,
भाल की बिंदी लगाती मैं।
सतरंगी बूटे धारण कर-
उड़ता आँचल मंद पवन में।
साथ मिला होता जीवन में ।।
केश लटें बिखरा काँधे पर,
वीणा की झनकार सुनाती।
छेड़ राग की मृदु सरगम मैं,
कोकिल कंठी तुझे रिझाती।
तेरी बाँहों के झूले में-
कजरी गाती सावन में।
साथ मिला होता जीवन में।।
आल्हा गीत प्रीत मन भरती,
अकुलाती उर आहें भरती।
साँझ द्वार पर दीप जला कर,
सुख-वैभव अभिलाषा करती।
देख चाँद मैं कामुक होती-
नर्तन करती जा उपवन में।
साथ मिला होता जीवन में ।।
थका थकाया घर तू आता,
रुनझुन करती नेह लुटाती।
अकुलाते प्यासे नयनों को,
चूम अधर से लाड़ लड़ाती।
मुझको जीवन साथी पाकर-
भर लेता तू आलिंगन में।
साथ मिला होता जीवन में ।।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी(उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर